Bihar Board 12th Class Political Science Model Set 3 Subjective – Answer
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Subject | Political Science - राजनीतिशास्त्र |
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Class | 12th |
Model Set | 3 |
Session | 2024-26 |
Subjective Question | All Most VVI Questions |
- लघु उत्तरीय प्रश्न
1. दबाव समूह से आप क्या समझते हैं ?
Ans – दबाब समूह लोगों के उस संगठित समूह को कहा जाता है जो अपने सदस्यों के हितों की पूर्ती के सरकार के निर्णय को प्रभावित करता है। दबाव समूह ऐसे ही संगठन है जो औपचारिक रुप से राजनीतिक प्रक्रिया में भाग नहीं लेते, न हीं चुनावों में उम्मीदवार खड़ा करते हैं। इसके बजाय वे अपने सदस्यों के हितों की प्राप्ति के लिए राजनीति को प्रभावित करते हैं। दबाव समूह को अन्य नामों से जाना जाता है- हित समूह, गैर सरकारी संगठन, अनौपचारिक संगठन इत्यादि।
2. गुटनिरपेक्ष आंदोलन क्या है ?
Ans – गुट-निरपेक्ष आंदोलन का अर्थ है किसी देश अथवा गुट का सम्मिलित न होना तथा किसी भी देश अथवा गुट के कार्य की सराहना या आलोचना बिना सोचे-समझे न करना। गुट निरपेक्ष आंदोलन की नीति अपनाने वाला राष्ट्र अपने लिए एक स्वतंत्र विदेश नीति का निर्धारण करता है। वह राष्ट्र अच्छाई या बुराई, उचित एवं अनुचित का निर्णय अपने विवेक से करता है न कि किसी राष्ट्र के दबाव या प्रलोभन में करता है।
3. वर्चस्व का क्या अर्थ है ?
Ans – वर्चस्व, सामर्थ्य एवं शक्ति तीनों शब्द एक दूसरे से मिलते-जुलते हैं परन्तु राजनीति विज्ञान के दृष्टिकोण से तीनों का अर्थ भिन्न है। वर्चस्व का अर्थ है-दूसरे को नियंत्रित करने और उनसे अपना मनचाहा व्यवहार कराने और उनके अनचाहा व्यवहार को रोकने का सामर्थ्य और योग्यता ही शक्ति है। यह राजनीति की एक ऐसी कहानी है जो शक्ति के इर्द-गिर्द घुमती है। विश्व राजनीति में भी विभिन्न देश या देशों के समूह ताकत पाने और कायम रखने की लगातार कोशिश करते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था में ताकत का एक ही केंद्र हो तो इसे वर्चस्व शब्द के इस्तेमाल से वर्णित करना ज्यादा उचित है।
4. विश्व बैंक के प्रमुख कार्यों का वर्णन करें।
Ans – द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद नई विश्वव्यवस्था का आगमन हुआ। एक ओर व्यापक क्षति होने के कारण देशों की हालत दयनीय हो गई तो दूसरी ओर नये स्वतंत्र राज्यों का उदय हुआ, जिनके पास संसाधनों की कमी थी। इन देशों के पुनरुद्धार के लिए 1965 में विश्वबैंक की स्थापना की गई, जिसका मुख्यालय वाशिंगटन में है।
इसके निम्नलिखित कार्य हैं-
(1) विकासशील देशों को वित्तीय सहायता तथा ऋण देना
(ii) इन्हें रचनात्मक आर्थिक विकास के लिए तकनीकी सहायता देना
(iii) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में संतुलन बनाये रखना
(iv) पर्याव्रण सुरक्षा एवं प्रदूषण नियंत्रण को लागू करना।
5. प्रत्यक्ष विदेश निवेश क्या है ?
Ans – सामान्य शब्दों में किसी एक देश की कंपनी का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) कहलाता है। ऐसे निवेश से निवेशकों को दूसरे देश की उस कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा हासिल हो जाता है जिसमें उसका पैसा लगता है। किसी निवेश को FDI का दर्जा दिलाने के लिए कम-से-कम कंपनी में विदेशी निवेश को 10% शेयर खरीदना पड़ता है। इसके साथ उसे निवेश वाली कंपनी में मताधिकार भी हासिल करना पड़ता है। FDI दो तरह के होते हैं इनवार्ड और आउटवार्ड।
6. बहुदलीय व्यवस्था क्या है ?
Ans – बहुदलीय व्यवस्था में विभिन्न राजनीतिक दल को चुनाव लड़ने का अधिकार होता है एवं एक या विभिन्न दल मिलकर सरकार बनाते हैं। सरकार निर्माण में भी एक दल या एक से अधिक दलों का सहयोग होता है।
7. विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख कार्य बताएं।
Ans – विश्व के देशों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है। यह संयुक्त राष्ट्रसंघ की एक महत्त्वपूर्ण इकाई है। इस संस्था की स्थापना 1948 में हुई। विश्व स्वास्थ्य संगठन का उद्देश्य संसार के लोगों के स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा करना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख कार्य हैं-
(i) अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संबंधी कार्यों पर निर्देशक एवं समन्वयक के रूप में कार्य करना।
(ii) संयुक्त राष्ट्र के साथ-साथ उसके एजेंसियों, सरकारी स्वास्थ्य प्रशासन, पेशेवर समूह एवं अन्य संगठन जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करते हैं उसके साथ प्रभावी सहयोग करना एवं सहयोग को बनाये रखना।
(iii) सरकार के अनुरोध पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती से सहयोग करना।
(iv) ऐसे वैज्ञानिक और पेशेवर समूहों के मध्य सहयोग को बढ़ावा देना जो स्वास्थ्य में प्रगति के क्षेत्र में बढ़ावा देते हैं।
8. द्वितीय पंचवर्षीय योजना के क्या उद्देश्य थे।
Ans – द्वितीय पंचवर्षीय योजना में भारी उद्योगों के विकास पर जोर दिया गया। पहली योजना का मूलमंत्र था धीरज, लेकिन दूसरी योजना की कोशिश तेज गति से संरचनात्मक बदलाव करने की थी। इसके लिए हरसंभव दिशा में बदलाव की बात तय की गई थी। सरकार ने देशी उद्योगों को संरक्षण देने के लिए आयात पर भारी शुल्क लगाया। संरक्षण की इस नीति से निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को आगे बढ़ने में मदद मिली।
9. दक्षेस क्या है ?
Ans – सार्क या दक्षेस भारतीय उपमहाद्वीप के देशों या दक्षिण एशियाई देशों का एक संगठन है। दुनिया की तीन चौथाई आबादी इन देशों में रहती है। प्राकृतिक संसाधन एवं जल संसाधन के भंडार होने तथा इन देशों में दरिद्रता, बेरोजगारी, आतंकवाद एवं आंतरिक अशांति के कारण इस वैश्वीकरण के समय में सार्क की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
10. प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के दो गुना का उल्लेख करें।
Ans – लोकतंत्र में शासन प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में होता है। जब लोग प्रत्यक्ष रूप से शासन के कार्यों में सार्वजनिक मामलों एवं नीति निर्माण में भागीदारी निभाते हैं और अपनी सहमति या असहमति देते हैं तो प्रत्यक्ष प्रजातंत्र कहलाता है।
प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के गुण निम्नलिखित है-
(1) सरकार की लोकप्रियता में वृद्धि होती है।
(ii) सरकार के आय-व्यय में कमी होती है।
(iii) दलगत राजनीति के दोष कम देखने को मिलते है।
(iv) प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के देशों में भ्रष्टाचार कम होते हैं।
(v) प्रत्यक्ष प्रजातंत्र में निर्णय प्रक्रिया आसान होती है।
11. लोकसभा में विपक्ष का नेता कौन होता है।
Ans – लोकसभा में जो दल सरकार में शामिल नहीं होती है। वह दल विपक्षी दल कहलाते हैं। लोकसभा में विपक्षी दलों द्वारा एक नेता का चुनाव किया जाता है, जिसे विपक्ष का नेता कहा जाता है। विपक्षी दल होने के लिए यह आवश्यक है कि उस दल को लोकसभा में कम-से-कम कुल सदस्यों का दस प्रतिशत सदस्य अवश्य हो।
12. सरदार वल्लभ भाई पटेल पर नोट लिखें।
Ans – सरदार वल्लभ भाई पटेल (1875-1950) स्वतंत्र भारत के उपप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री थे। सरदार पटेल केन्द्र को बहुत शक्तिशाली देखना चाहते थे। उन्होंने देशी रजवाड़ों के भारत में विलय के चुनौतीपूर्ण कार्य को सफलतापूर्व संचालित किया। उन्हें भारत का लौहपुरुष कहा जाता है। उनका महान व्यक्तित्व और यशस्वी योगदान अद्वितीय है। मरणोपरांत 1991 में उन्हें भारत रत्न से विभूषित किया गया।
13. कांग्रेस व्यवस्था की पुनः स्थापना का क्या अर्थ है ?
Ans – स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी सत्ता में बनी रही। 1964 में पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी में चमाकारी व कुशल नेतृत्व का अभाव रहा। फलस्वरूप 1967 ई के चुनाव में केंद्र में कांग्रेस पार्टी की इंदिरा गाँधी की सरकार बनी। लेकिन राज्यों के विधान सभा चुनाव में काँग्रेस के विरोधी पार्टियों ने एकजुट होकर सत्ता में आए और सरकार बनाई। जिसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा एवं उड़ीसा में कांग्रेस के विरोधी पार्टी की सरकार बनी।
लेकिन 1971 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को पुनः विशाल बहुमत मिला। केंद्र में कांग्रेस को मजबूत सरकार बनी। 1972 के विधान सभा चुनावों में राज्यों में कांग्रेस ने पुनः विशाल बहुमत प्राप्त कर सत्ता प्राप्त की। इस प्रकार कांग्रेस ने अपनी खोई हुई जनाधारको पुनः प्राप्त कर ली, इसे ही कांग्रेस व्यवस्था की पुनः स्थापना या प्रभुत्व कहा गया।
14. कांग्रेस सिंडिकेट का अर्थ बतलावे।
Ans – सिंडिकेट नेहरू के बाद कांग्रेस से उभरा उन शक्तिशाली नेताओं का गुट था जो विभिन्न राज्यों से संबंधित थे व जिनका कांग्रेस संगठन पर नियंत्रण था। इन नेताओं में प्रमुख रूप से मद्रास में कामराज महाराष्ट्र से एस० के० पाटिल, कर्नाटक से निजिलगण्या व पश्चिमी बंगाल से अरुण घोष थे। नेहरू के देहान्त के बाद लाल बहादुर शास्त्री व श्रीमती इंदिरा गाँधी को प्रधानमंत्री बनाने में सिंडिकेट के नेताओं की प्रमुख भूमिका थी। सिंडिकेट के नेताओं को यह विश्वास था कि श्रीमती इंदिरा गाँधी अनुभवहीन होने के कारण कमजोर प्रधानमंत्री होगी व उनके परामर्श पर गर्व करेगी।
15. 1977 ई के चुनावके बाद पहली बार केंद्र में विपक्षी दल की सरकार बनी ऐसी किन कारणों संभव हुआ।
Ans – जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व घाली जनता पार्टी में आपातकाल के विरोध करने वाले कांग्रेस के बड़े नेताओं को शामिल होने के साथ-साथ वर्तमान सरकार की अलोकतांत्रिक कार्य एवं दमनात्मक नीतियों के कारण 1977 में विपक्षी दल की सरकार बनी।
16. शिमला समझौता की किन्हीं दो मुख्य विशेषताएं लिखें।
Ans – इस समझौते की प्रमुख विशेषताएँ है-
(i) दोनों देश (भारत-पाकिस्तान) सीधी बातचीत से अपनी समस्याओं का समाधान कर लेंगे।
(ii) कोई पत्र बल प्रयोग या एक पक्षीय कार्यवाही नहीं करेगा।
(iii) दोनों देश परस्पर कुष्प्रचार को रोकेंगे।
(iv) संचार, आवगमन, व्यापार और आर्थिक सहयोग के माध्यम से दोनों देश अपने संबंधों को बेहतर बनाएगा।
17. प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।
Ans – मानव की विकासात्यक गतिविधियों के चलते प्रकृति की निर्मलता, स्वच्छता व संतुलन भंग हो जाता है तो इसके परिणामस्वरूप प्रदूषण होता है और तब हम कहते हैं कि प्रदूषण बढ़ रहा है और पृथ्वी में असंतुलन व्याप्त हो रहा है। अर्थात् वातावरण की निर्मलता का नष्ट हो जाना या बिगड़ जाना हो।
हमारे दैनिक जीवन में अनेक प्रकार के प्रदूषणों से हमारा सामना होता है, जो निम्नलिखित हैं-वायु प्रदूषण जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण, खनन प्रदूषण, जलाशय का प्रदूषण, अंतरिक्ष प्रदूषण एवं औद्योगिक संपत्र से संबंधित प्रदूषण आदि।
18. हरित क्रांति से आप क्या समझते हैं ?
Ans – भारत में हरित क्रांति को शुरुआत 1967-68 में प्रारंभ किया गया। भारत में एम० एस० स्वामीनाथन को इसका जनक माना जाता है। हरित क्रांति का अभिप्राय देश में सिंचित एवं असिंचित कृषि क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाले मकर तथा बौने बीजों के उपयोग से फसल के उत्पादन में वृद्धि करना है। हरित क्रांति के फलस्वरूप गेहूँ, गन्ना, मक्का तथा बावरा आदि फसलों में प्रति हेक्टेयर उत्पादन एवं कुल उत्पादकता में काफी वृद्धि हुई।
19. पंचायत समिति के प्रमुख कार्य क्या है ?
Ans – पंचायत समिति में एक प्रमुख होता है। प्रमुख का निर्वाचन पंचायत समिति के सदस्य अपने बीच से करते हैं। प्रमुख पंचायत समिति की बैठक बुलाता है और उसकी अध्यक्षता करता है, पंचायत समिति के निर्णयों एवं अनुशंसाओं को लागू करवाने के लिए कार्यपालक पदाधिकारी पर नियंत्रण रखता है। प्रमुख पंचायत समिति क्षेत्र में पड़ने वाले लोगों को प्राकृतिक आपदा के समय राहत के रूप में पचीस हजार रुपये तक स्वीकृत कर सकता है।
20. धर्मनिरपेक्षता को परिभाषित कीजिए।
Ans – अनेक मतों को मानने वाले भारत के लोगों की एकता और उनमें बंधुता स्थापित करने के लिए संविधान में धर्मनिरपेक्ष राज्य का आदर्श रखा गया है। इसका अर्थ है कि राज्य सभी धमों की समान रूप से रक्षा करेगा और स्वयं किसी भी धर्म को राज्य के धर्म के रूप में नहीं मानेगा। राज्य के इस धर्म निरपेक्ष उद्देश्य को विनिर्दिष्ट रूप से उद्देशिका में संविधान (42 वाँ संशोधन) अधिनियम 1976 ई० द्वारा पंथनिरपेक्ष राष्ट अन्तापित सुनिश्चित किया गया है।
21. समाजवादी विचारधारा से क्या समझते हैं ?
Ans – समाजवादी विचारधारा मौलिक रूप से इस मान्यता पर जोर देती है कि उत्पादन एवं वितरण के साधनों पर समाज का नियंत्रण हो। व्यक्तिकादरी नियंत्रण के विरुद्ध समाज के नियंत्रण के माध्यम से व्यवस्था चलाया जाय, समाजवाद का सत्य है। इसके लिए अलग-अलग विचार दिये जाते हैं। जहाँ मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर आधारित वैज्ञानिक समाजवाद की बात की वहाँ वर्तमान समय में लोकतांत्रिक समाजवाद की बात की जाती है। ब्रिटेन में फेवियन सोशलिज्य के नाम से यह विचारधारा लोकप्रिय रही।
22. तनाव शैथिल्य क्या है ?
Ans – दो महाराक्तियों संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच पूणा, द्वेष व टकराव के कारण शीतयुद्ध की स्थिति पैदा हो गई। इसका मुख्य कारण था कि संयुक्त राज्य अमेरिका उदारवाद की विचारधारा का समर्थक था तो सोवियत संघ समाजवाद की विचारधारा का पक्षधर था, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति सुधरी, परस्पर सहयोग व समन्वय बड़ा शीत युद्ध की गरमी पटी जिसे तनाव शैथिल्य का नाम दिया गया।
23. संयुक्त राष्ट्र संघ के किन्हीं दो उद्देश्यों को लिखें।
Ans – संयुक्त राष्ट्र संघ के किन्हीं दो उद्देश्य इस प्रकार है
(i) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाये रखना।
(ii) भिन्न-भिन्न राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ाना।
(iii) आपसी सहयोग द्वारा आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा मानवीय बंग को अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं को हल करना।
(iv) ऊपर दिये गये हितों को पूर्ति के लिए भिन्न-भिन्न राष्ट्रों को कार्यवाही में तालमेल करना।
24. तीसरी दुनिया से आप क्या समझते हैं ?
Ans – गुट निरपेक्ष आंदोलन को तीसरी दुनिया के लोगों ने तीसरे विकल्प वो रूप में देखा। तीसरी दुनिया का अर्थ तटस्थता धर्म को निभाना भी नहीं है। ऐसे देश युद्ध में संलग्न नहीं होते न ही युद्ध के सही गलत होने के बारे में उनका कोई पक्ष होता है। कई कारणों से तीसरी दुनिया के देश जिसमें भारत भी शामिल है: युद्ध में शामिल हुए हैं। इन देशों ने दूसरे देशों के बीच युद्ध को होने से टालने की लिए काम किया है और हो रहे युद्ध के अंत के लिए प्रयास किए हैं। तीसरी दुनिया के देशों के विकास में शांति, स्थिरता और समृद्धि प्रदान करने में गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
25. सीटों क्या है ?
Ans – सोटो (SEATO)- इस संधि संगठन का पूरा नाम दक्षिण-पूर्व एशिया संधि संगठन है। 1954 में इस संधि का मुख्य उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया में बढ़ते हुए चीनी बंग को रोकना है और इस उद्देश्य के लिए यथोचित तैयारी करना है। इसमें फिलिपीन, थाइलैंड, इंग्लैंड, फ्रांस, पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड तथा अमेरिका आदि शामिल हैं।
26. संख्या शासन की क्या विशेषताएं हैं ?
Ans – संघात्मक शासन वह शासन है जहाँ राज्य की शक्तियों का विभाजन संवैधानिक स्तर पर केन्द्र और उसको घटक इकाइयों के बीच होता है। संपवाद एक विचारधारा है।
संघीय शासन की विशेषताएँ-
(i) लिखित संविधान
(ii) संविधान की सर्वोच्चता
(iii) शक्तियों का विभाजन
(iv) स्वतंत्र न्यायपालिका
(v) दो स्तरों की सरकार।
27. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एवं दक्षिण अफ्रीका के अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस पार्टी की समानताओं का वर्णन करें।
Ans – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म 1885 में हुआ था। यह राजनीतिक दल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया था। जिसके फलस्वरूप 15 अगस्त, 1947 ई० को भारत आजाद हुआ था। गांधीजी की भूमिका भी आग्रगण्य था। दक्षिण अफ्रीका का राष्ट्रीय कांग्रेस दल वहाँ महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया था। गाँधीजी की तरह अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस का नेता नेलशन मंडेला भी आजादी के लिए वर्षों तक जेल में रह कर दक्षिण अफ्रीका को भी आजाद कराया। इस प्रकार भारत के कांग्रेस पार्टी एवं दक्षिण अफ्रीका के नेशनल पार्टी में दो समानताएँ प्रमुख हैं-
(1) अखिल राष्ट्रीय स्तर का (ii) राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत संगठन।
28. वैश्विक तापमान क्या है ?
Ans – जब कभी धरती के तापमान में वृद्धि होती है, अनेक समस्याएँ उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है। कार्बन डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोक्साइड में वृद्धि के कारण ताप बढ़ता है, बर्फ पिघल सकता है तथा प्रलय की संभावना को नजदीक लाता है। इसलिए पर्यावरण संरक्षक आवश्यक है। इसके लिए ग्रीन हाउस गैसेज तथा असंतुलित रूप से प्राकृतिक के संस्ाधनों का दोहन करना ही जिम्मेवार है।
29. अमेरिकी वर्चस्व का क्या अर्थ है ?
Ans – समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व शीतयुद्ध की समाप्ति के साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरा। अब उसे टक्कर देने वाली शक्ति विश्व में मौजूद नहीं थी। शीतयुद्ध के बाद वाले दौर को अमेरिकी वर्चस्व या एक ध्रुवीय विश्व का दौर कहा जाने लगा।
30. राष्ट्रीय हित क्या है ?
Ans – का निर्धारण किया जाता है। प्रदेश राष्ट्रीय हितों यथा सुरक्षा संवृद्धि, स्थिता आदि को ध्यान में रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय पटकओं के प्रति एक दृष्टिकोण असता है। किन केनुसार राष्ट्रीय हित वह हित है जिसे एक राष्ट्र अपनी सुरक्षा था कुशला के लिए आवश्यकता है-राष्ट्रीय हित साधारण तथा निरन्तर बने रहने वालउद्देश्यों की प्रतिविम्वित करता है, जिसके लिए कोई राष्ट्र कार्य कराता है।”
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
31. भारतीय संविधान की विशेषताओं का वर्णन करें।
Ans – प्रत्येक सोकतांभिक देश का एक संविधान होती है। भारत भी एक संकारिक देश है। भारत का भी एक लिखित संविधान है। भारतीय संविधान की कुछ विशेषताएँ हैं जो निम्नलिखित है
(i) लिखित एवं व्यापक संविधान – भारत का संविधान एक विशेष समय में संविधान सभा द्वारा तैयार किया गया है। इस संविधान की सभी बातें लिखित है। भारत का संविधान विश्व का सर्वाधिक बड़ा संविधान है।
(ii) लोकप्रिय सम्प्रभुता या आधारित संविधान – भारतीय संविधान जनता द्वारा निर्मित संविधान है। इसके द्वारा शासन की अंतिम शक्ति जनता में निहित है।
(iii) सम्पूर्ण प्रभुत्व – संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य – भारतीय संविधान को सर्वशक्तिमान बराया गया है। राज्य की सता जनता में निहित है और राज्य के प्रधान का निर्वाचन होता है।
(iv) समाजवादी एवं धर्मनिरपेक्ष राज्य- 1976 में 42वाँ संविधान में संशोधन करक समाजधर्मनिरपेक्षजागार का अर्थ है शोषण को समाप्त करना तथा धर्मनिरपेक्ष का अर्थ है राम्य सभी धर्मों का पालन करेगा और सभी धर्मा को विशेष महत्व प्रदान करेगा।
(v) संसदीय एवं संघीय शासन प्रणाली – भारतीय संविधान संसदीय शासन प्रणाली को स्थापना करता है। इस शासन व्यवस्था में शान की वास्तविक सता मंत्रिपरिषद के पास होती है। संघीय शासन प्रणाली का अर्थ हैं राज्य में शामन शक्ति एक जगह केन्द्रीत न होकर केन्द्र और राज्यों के बीच विभाजित होगा।
(vi) स्वतंत्र व्यायपालिका – न्यायपालिका ही संविधान की रक्षक है और संविधार की व्याख्या करती है। संविधान द्वरा व्यापलिका स्वतंत्र बनाया गया है। न्यायपालिका के आचरण एवं व्यवहार पर व्यवस्थापिका द्वारा किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं लगा सकता है।
(vii) मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य – भारतीय संविधान के द्वारा नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रधान किया गया जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक है। इस अधिकार को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। भारतीय नागरिको को प्रकार के मौलिक अधि कार प्रदान किया गया।
(viii) राज्य के नीति निर्देशक तत्व भारतीय संविधानद्वारा राज्यों के लिए कुछ निर्देश भी दिए गए है। इसका मुख्य उद्देश्य है लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना। लेकिन इन तत्वों के पीछे कोई कानूनी बाध्यत नहीं है।
(ix) बयस्क मताधिकार – भारतीय संविधानद्वारा जनप्रतिनिधियों के चुनाव के लिए वयस्क मताधिकार की व्यवस्था की गई है। भारत में वयस्क मताधिकार की उम्र 18 वर्ष निर्धारित किया गया है।
32. प्रजातंत्र में नागरिक समाज की क्या भूमिका है ?
Ans – लोकतंत्र में नागरिक समाज शब्द राजनीतिक, प्रशासनिक और बौद्धिक क्षेत्रों में काफी प्रचलित हो गया है। परंपरागत रूप से राज्य और नागरिक समाज दोनों शब्दों का इस्तेमाल एक-दूसरे के लिए किया जाता है और उनको समानार्थी माना जाता है। प्रजातंत्र में नागरिक समाज सरकार द्वारा समर्थित संरचनाओं और स्वैच्छिक नागरिक और सामाजिक संगठनों और संस्थानों की समग्रता से बना है। कानून राज्य एवं नागरिक समाज की समानता को अपनी सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता मानता है।
नागरिक समाज संगठन कल्याण एवं विकास प्रशासन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लोकतंत्र में नागरिक समाज अनेक भूमिकाओं को निभाते हैं। कुछ भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं-
(i) वे गरीबों को सामाजिक आर्थिक विकास के लिए संगठित और गतिशील करते हैं।
(ii) वे सूचना का प्रसार करते हैं और लोगों की वेहतरी के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं, कार्यक्रमों और परियोजनाओं के बारे में जानकारी देते हैं।
(iii) वे प्रशासनिक प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी की रास्ता खोलते हैं।
(iv) नागरिक समाज प्रशासन तंत्र के लोगों की भागीदारी का रास्ता खोलते हैं।
(v) नागरिक समाज सरकार को लोगों की आवश्यकता एवं आकांक्षा के प्रति अधिक उत्तरदायी बनाते हैं।
(vi) नागरिक समाज स्थानीय विकास के लिए स्थानीय संसाधनों के उपयोग का रास्ता साफ करते हैं। इस प्रकार समुदायों को आत्म निर्भर बनाते हैं।
(vii) नागरिक समाज सार्वजनिक हित के पहरेदार का काम करते हैं।
(viii) वे स्वंसेवा के सिद्धांत को सुदृढ़ बनाते हैं।
(ix) नागरिक समाज विभिन्न राजनीतिक विषयों पर चर्चाएँ चलाकर वे लोगों में राजनीतिक चेतना पैदा करते हैं।
(x) वे लक्ष्यों एवं उद्देश्यों की पहचान करने में सरकार की मदद करते हैं।
33. पंचायती राज व्यवस्था के आय के स्रोतों का वर्णन करें।
Ans – गाँव एवं जिला स्तर की वैसी शासन व्यवस्था जिसमें आम आदमी अपनी भागीदारी एवं उत्तरदायित्व सुनिश्चि करता है पंचायती राज शासन या स्थानीय शासन कहलाता है। पंचायती राज व्यवस्था के आय का स्त्रोत है भवन निर्माण कर, बिजली, पानी कनेक्शन पर जारी एन ओसी पर कर, मनोरंजन कर, मेला पर कर, विवाह पंजीयन शुल्क, खनन पर कर, आबादी
क्षेत्र में भूखण्ड की बिक्री, ठेला वाहन कर, पशुपालन कर, पुराने भवनों के पट्टे से आय, घास की निलामी, उद्योग कर, मुर्गी पालन कर, मत्स्य पालन कर, दुकान किराया कर आदि।
34. भारत रूस संबंधों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
Ans – भारत और रूस एक-दूसरे के पड़ोसी देश अवश्य हैं, परंतु विचारधारा, राजनीतिक व आर्थिक व्यवस्था आदि की दृष्टि से भिन्न हैं। प्रारंभ में भारत व सोवियत संघ के संबंध मित्रतापूर्ण नहीं थे। सन् 1954 में स्टालिन की मृत्यु के पश्चात् रूस की आंतरिक राजनीति में एक बहुत बड़ा मोड़ आया और दोनों देशों के बीच नजदीकियाँ काफी आयी। कश्मीर के मसले पर सोवियत संघ द्वारा भारत का समर्थन करने के पश्चात् दोनों देशों के संबंधों में और प्रगाढ़ता आई। शीत युद्ध के दौरान भारत व सोवियत संबंधों की प्रगाढ़ता को देखते हुए आलोचकों ने कहना प्रारंभ कर दिया था कि भारत सोवियत खेमे का ही एक हिस्सा था। इस काल के भारत व सोवियत संघ के संबंधों का विस्तार निम्न है-
(1 ) भारत-सोवियत आर्थिक संबंध – इस संबंध में सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह रही कि 1977 तक भारत-सोवियत आर्थिक संबंधों का ताना-बाना बहुत लाभप्रद ढंग से इतना बुना जा चुका था कि व्यापक नीति परिवर्तन की गुंजाइश ही नहीं बची थी।
(ii) भारत-सोवियत सैन्य संबंध- सैनिक साजो सामान के आयात व उत्पादन के मामले में भारत की निर्भरता और भी नाजुक रही। आरंभमें ही मिग लड़ाकू विमानों की असेंबलीग लाइसेंसशुदा ढंग से हिन्दुस्तान ऐरोनोटिक्स के कारखाने में सोवियत मदद पर ही निर्भर रही। रूस भले ही परमाणु प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की अपेक्षाओं को पूरा न किया हो किन्तु भारत के मन में यह आशा बची रही कि कुछ नहीं तो भारी पानी हासिल करने में सोवियत संघ भारत का मददगार साबित होगा। भारत को रूस ने ऐसे समय पर सैनिक सहायता की थी जब कोई भी दूसरा देश भारत को सैनिक सहायता देने के लिए तैयार नहीं था।
(iii) भारत-रूस सांस्कृतिक संबंध-प्रारंभ से ही भारत व रूस का यह प्रयत्न रहा है कि आर्थिक व सामरिक परिप्रेक्ष्य में समय को सांस्कृतिक आदान-प्रदान का जामा पहनाया जाए। रूस की यह कोशिश रही कि सांस्कृतिक संपर्क सरकार व दल के स्तर पर अलग-अलग चलाए जाएँ और जनाभिमुखराजनय को लोकप्रिय ढंग से संपादित किया जाए। राजकपूर की आवारा जैसी फिल्में रूस में बेहद लोकप्रिय हुई जिसका प्रभाव अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दिखाई देने लगा। जितने बड़े पैमाने पर रूस में भारतीय महोत्सव का आयोजन किया गया, उससे यही पता चलता है कि दोनों के सांस्कृतिक पक्ष को कम महत्वपूर्ण नहीं समझा जाना चाहिए।
35. वर्तमान समय के संदर्भ में भारत और चीन के संबंधों की विवेचना करें।
Ans – भारत और चीन दोनों ही एशिया के महान देश हैं, जिनकी सभ्यताएँ पुरानी हैं। दोनों एक दूसरे के करीब हैं। पिछली शताब्दी में दोनों ने एक ही साथ राजनीतिक परिवर्तन को देखा। 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ तो चीन 1949 में साम्यवादी व्यवस्था के रूप में उदित हुआ। भारत को चीन के इस परिवर्तन से काफी उम्मीद थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ‘हिन्दी-चीनी-भाई-भाई’ एवं पंचशील समझौते के साथ दोनों देशों के बीच संबंधों की नींव रखी, किन्तु कुछ ही दिनों के बाद चीन ने भारत के साथ विश्वासघात किया। अपनी प्रसारवादी नीति के आधार पर तिब्बत पर नियंत्रण स्थापित किया तथा भारत के भूखण्ड पर अपना दावा किया। अन्ततः 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया। इसमें भारत को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा तथा भारत का एक बड़ा भू-भाग चीन के कब्जे में हो गया। उस समय से दोनों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं। वार्तायें होती हैं किन्तु समाधान की उम्मीद नहीं की जाती।
वर्तमान विश्व राजनीति की ऐसी स्थिति के बावजूद यह कहा जा सकता है कि चीन की भारत के प्रति नीति में कोई परिवर्तन नहीं आया है। सीमा विवाद के हल हेतु कई दौर की वार्ता के बावजूद प्रगति के नाम पर उपलब्धि शून्य है। अरुणाचलप्रदेश पर वह अपना अधिकार बतलाता है तथा इस प्रदेश के किसी सदस्य को भारतीय प्रतिनिधि के रूप में चीन जाने की अनुमति नहीं देता है। तिब्बत के कारण खासकर दलाईलामा के कारण चीन कई बार भारत का विरोध कर चुका है। नेपाल में वह माओवादियों के नाम पर भारत विरोधी वातावरण का निर्माण कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का चीन विरोध करता है, जबकि भारत चीन को वास्तविक चीन के प्रतिनिधि के रूप में सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए मदद कर चुका है। आतंकवाद, परमाणु कार्यक्रम आदि में चीन खुलेआम पाकिस्तान की मदद करता रहा है। इस प्रकार भारत-चीन के संबंधों में आने वाले परिवर्तनों की संभावना नहीं दिख रही है। कई बार ऐसे विचार व्यक्त किये गये हैं कि भारत-चीन मिलकर काफी अच्छी भूमिका निभा सकते हैं, किन्तु चीन इस दिशा में उत्साहित नहीं दिख रहा है। इन विपरीत परिस्थितियों के बीच एक सुखद बात यह है कि उदारीकरण की नीति के कारण दोनों देशों के बीच व्यापार में वृद्धि हो रही है। उदारीकरण की नीति का लाभ दोनों ही देश अपनी समृद्धि के लिए कर रहे हैं।
36. नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना बहाल करने पर निबंध लिखें।
Ans – नेपाल में लोकतंत्र की बहाली (Establishment of democracy in Nepal)-नेपाल में लोकतंत्र की बहाली के लिए लम्बे समय से संघर्ष एवं आंदोलन चले। इसके बाद नेपाल में लोकतंत्र की बहाली हो पायी। जिसके विभिन्न चरणों के व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है-
(i) नेपाल अतीत में एक हिन्दू-राज्य था फिर आधुनिक काल में कई सालों तक यहाँ संवैधानिक राजतंत्र रहा। संवैधानिक राजतंत्र के दौर में नेपाल की राजनीतिक पार्टियाँ और आम जनता एक ज्यादा खुले और उत्तरदायी शासन के आवाज उठाती रही लेकिन राजा ने अपनी सेना की सहायता से शासन पर पूरा नियंत्रण कायम रखा और नेपाल में लोकतंत्र की राह अवरुद्ध हो गई।
(ii) लोकतंत्र-समर्थक मजबूत आंदोलन की चपेट में आकर राजा ने 1990 में नए लोकतांत्रिक संविधान की माँग मान ली, लेकिन नेपाल में लोकतांत्रिक सरकारों का कार्यकाल बहुत छोटा और समस्याओं से भरा रहा। 1990 के दशक में नेपाल के माओवादी, नेपाल के अनेक हिस्सों में अपना प्रभाव जमाने में कामयाब हुए। माओवादी, राजा और सत्ताधारी अभिजन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह करना चाहते थे। इस वजह से राजा के सेना और माओवादी गुरिल्लों के बीच हिंसक लड़ाई छिड़ गई।
(iii) कुछ समय तक राजा की सेना, लोकतंत्र समर्थकों और माओवादियों के बीच त्रिकोणीय संघर्ष हुआ। 2002 में राजा ने संसद को भंग कर दिया और सरकार को गिरा दिया। इस तरह नेपाल में जो भी थोड़ा-बहुत लोकतंत्र था उसे राजा ने खत्म कर दिया।
(iv) अप्रैल, 2006 में यहाँ देशव्यापी लोकतंत्र-समर्थक प्रदर्शन हुए । संघर्षरत लोकतंत्र-समर्थक शक्तियों ने अपनी पहली बड़ी जीत हासिल की जब राजा ज्ञानेन्द्र ने बाध्य होकर संसद को बहाल किया। इसे अप्रैल, 2002 में भंग कर दिया गया था। मोटे तौर पर अहिंसक रहे इस प्रतिरोध का नेतृत्व सात दलों के गठबंधन (सेवेन पार्टी अलाएंस), माओवादी तथा सामाजिक कार्यकर्त्ताओं ने किया।
(v) नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना अभी मुकम्मल नहीं हुई है। फिलहाल, नेपाल अपने इतिहास के एक अद्वितीय दौर से गुजर रहा है क्योंकि वहाँ संविधान-सभा के गठन की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। माओवादी समूहों ने सशस्त्र संघर्ष की राह छोड़ देने की बात मान ली है। माओवादी चाहते हैं कि संविधान में मूलगामी सामाजिक, आर्थिक पुनर्रचना के कार्यक्रमों को शामिल किया जाय। सात दलों के
पुनर्रचना के कार्यक्रमों को शामिल किया जाय। सात दलों के गठबंधन में शामिल हरेक दल को यह बात स्वीकार हो-ऐसा नहीं लगता। माओवादी और कुछ अन्य राजनीतिक समूह भारत की सरकार और नेपाल के भविष्य में भारतीय सरकार की भूमिका को लेकर बहुत शकित हैं। अभी नेपाल में लोकतंत्रीय व्यवस्था है जिसका नेतृत्व माओवादी नेताओं के हाथ में है।
37. किसी राज्य के मुख्यमंत्री के अधिकार एवं कार्यों की व्याख्या करें।
Ans – भारतीय शासन व्यवस्था में केंद्र में जो स्थिति प्रधानमंत्री का होता है लगभग वही स्थिति राज्य की शासन व्यवस्था में मुख्यमंत्री की भी है। मुख्यमंत्री राज्य की शासन की धुरी है। उसके कार्य एवं अधिकार काफी व्यापक है। मुख्यमंत्री राज्य मंत्रीपरिषद् का निर्माण करता है और मंत्रियों के बीच विभागों का बँटवारा भी करता है। मुख्यमंत्री सभी विभागों के कार्यों में समन्वय बनाए रखने का काम करता है ताकि सरकार का काम सुचारु रूप से चलता रहे। मुख्यमंत्री विधानसभा का नेता होता है। वह राज्य विधानमंडल का नेता भी होता है। मुख्यमंत्री राज्यपाल को अपने कार्य दायित्वों में निपटारा हेतु परामर्श भी देता है। मुख्यमंत्री के परामर्श से ही राज्यपाल बड़े-बड़े पदाधिकारियों की नियुक्तियाँ एवं सजायाप्ता कैदी को क्षमादान भी प्रदान करता है। नीति निर्धारण में मुख्यमंत्री का व्यक्तित्व एवं अपने दल के चुनावी घोषणा एवं सिद्धांत का प्रभाव देखा जा सकता है। राज्यपाल द्वारा जिला जजों की नियुक्ति एवं अन्य न्यायिक पदाधिकारियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री के परामर्श से ही किया जाता है। मुख्यमंत्री की इच्छानुसार संचालित होता है। वह राज्य शासन का कप्तान होता है। राज्य में आए विशिष्ट अतिथियों का राज्य की ओर से स्वागत करता है।
38. राजनीतिक न्याय क्या है ?
Ans – राजनीति न्याय का अर्थ है कि राज्य की राजनीतिक व्यवस्था और प्रक्रिया में किसी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं हो और सबको उसमें भाग लेने की स्वतंत्रता एवं समान अवसर प्राप्त हो। इस कारण लोकतंत्र राजनीतिक न्याय के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है और अधिनायकवाद को राजनीतिक न्यायं का विलोम कहा जाता है। राजनीतिक न्याय के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-
(i) शासनप्रणाली का प्रतिनिधिमूलक होना
(ii) सब वयस्कों को मताधिकार प्राप्त होना
(iii) नियमानुसार निष्पक्ष चुनाव होना
(iv) चुनावों में सभी नागरिकों को प्रत्याशी बनाने का अधिकार होना
(v) राज्य के सर्वाधिक पदों पर सभी नागरिकों को चुने जाने, नियुक्त होने का समान अवसर प्राप्त होना। कुछ अन्य अधिकार जो राजनीतिक न्याय को स्पष्ट करते हैं इस प्रकार हैं-
राजनीति दल गठित करने का अधिकार, भाषण एवं अभिव्यक्ति (प्रेस) की स्वतंत्रता, सभाएँ अथवा मीटिंग करने की स्वतंत्रता, संघ या संवाद बनाने की स्वतंत्रता, प्रचार करने की स्वतंत्रता। संक्षेपतः राजनीतिक व्यवस्था एवं प्रक्रिया में भाग लेने की समान स्वतंत्रता को ही राजनीतिक न्याय कहा जाता है।