12th Class ( Arts ) History Chapter 1 Subjective Question Answer
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Subject | Psychology |
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Class | 12th |
Model Set | 1 |
Session | 2024-26 |
Subjective Question | All Most VVI Questions |
1.सिंधु सभ्यता की कला का वर्णन कीजिये।
Ans– हड़प्पा सभ्यता की पक्की मिट्टी की बनी हुई अनेकों मुहरें-मुद्रायें प्राप्त हुई हैं, जिनसे इनकी कलात्मक स्वरूप के विषय में जाना जा सकता है। इसके साथ हो मिट्टी और धातु की अनेक लघु मूर्तियाँ भी प्राप्त हुई हैं जिनसे तत्कालीन कला पर यथोचित प्रकाश पड़ता है।
मोहरे हड़प्पा सभ्यता के उत्खनन स्थल से पकी हुई मिट्टी की अनेकों मुद्रायें प्राप्त हुई हैं। इन पर विभिन्न पशुओं, वृक्ष और मानव आकृतियों का अंकन किया गया है।
भवन निर्माण कला इस कला के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में प्राप्त हुए हैं। इनके वास्तुकला उच्च कोटी की थी।
मुर्तिकला मोहरों पर मूर्तियों की कला अत्यन्त उच्च कोटी की है। कुबड़ वाले बैल का चित्रण अत्यन्त यथार्थ और प्रभावशाली है। मानव मूर्तियों के निर्माण में हड़प्पा संस्कृति के लोगों ने दक्षता प्राप्त कर लिये थे। नर्तकी की कांसे की मूर्ति को भाव भंगिमा अत्यन्त ही आकर्षक हैं उसे नृत्य मुद्रा मुद्रा में बनाया गया है।
2. गुप्त काल के विज्ञान और प्राद्यौगिकी पर प्रकाश डालें।
Ans– गुप्त काल में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को विभिन्न शाखाओं का उल्लेखनीय – विकास हुआ। गणित के क्षेत्र में आर्यभट्ट की रचना आर्यभट्टीयम सर्वप्रमुख है। इसमें अंकगणित बीजगणित, तथा रेखागणित की विवेचना है। शून्य का आविष्कार एवं पाई का मान 314 इन्होंने ही बताया। ज्योतिष के क्षेत्र में पृथ्वी गोल है, सूर्यग्रहण एवं चंद्रग्रहण आदि की जानकारी दी गई है। वराहमिहिर की रचना पंच सिद्धांतिक ि इसी समय की रचना है। आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में चरक एवं सुश्रुत इसी समय हुए थे। नागार्जुन रसायन और धातु विज्ञान के प्रमुख ज्ञाता थे।
3. गुप्तकाल में सती प्रथा पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
Ans– गुप्तकाल में सती प्रथा के उल्लेख मिलता है। ऐरण शिलालेख (510) में उल्लेख हैं कि गोपराज नामक सेनापति की पत्नी युद्ध में अपने पति की मृत्यु के बाद सती हो गयी थी। हर्ष की माता यशोमति अपने पति की सम्भावित मृत्यु मात्र पर ही 604 ई० में सती हो गयी थी। गुप्तकाल के पूर्व महाभारत में सती प्रथा का उल्लेख प्राप्त होता है। पाण्डु की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी माद्री उसके साथ सती हो गयी थी। कृष्ण की मृत्यु के बाद उसकी पत्नियाँ भी उसके साथ सती हो गई थीं। महाभारत के आदि पर्व में सती प्रथा का समर्थन किया गया है। फिर भी यह कहा जायेगा की सती प्रथा आम नहीं था अपवाद स्वरूप थी।
4.बुद्ध के चार आर्य सत्यों को बताइये।
Ans– महात्मा बुद्ध ने चार आर्य सत्यों पर बल दिया। ये निम्नलिखित हैं
(i) संसार दुःखमय- महात्मा बुद्ध के अनुसार मानव जीवन दुःखों का घर है। बीमारी, बुढ़ापा, मृत्यु आदि मानव जीवन के भीषण दुःख हैं।
(ii) दुःख समुदाय- बुद्ध के अनुसार दुःखों का मूल कारण मानव जीवन ही है। दुःखों का मूल कारण तृष्णा है।
(iii) दुःख निरोध-यदि मानव की तृष्णा समाप्त हो जाय तो दुःखों का निवारण हो सकता है।
(iv) दुःख निरोध का मार्ग महात्मा बुद्ध के अनुसार इन सांसारिक दुःखों से छुटकारा पाने के लिए अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण करना चाहिये।
छुटकारा पाने के लिए अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण करना चाहिये।
5. कनिष्क के उपलब्धियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
Ans– कनिष्क कुषाण वंश का सबसे महानतम् शासक था, जो 78 ई० में सम्राट बना एवं 101 ई० तक शासन किया। कनिष्क के सम्राट बनने की तिथि से ही उपलब्धियों का दौर शुरू हो जाता है। शक संवत को शुरुआत उसके गद्दी पर बैठने की तिथि (78 ई०) से ही मानी जाती है। कनिष्क भारत का पहला शासक था जिसने चीन पर आक्रमण करके उसके आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र सिल्क रूट पर कब्जा किया था। कनिष्क बौद्ध धर्म का अनुयायी था। उसने अशोक की तरह ही एशिया एवं चीन में बौद्ध धर्म का प्रसार करवाया। कनिष्क के संरक्षण में ही कश्मीर के कुण्डलवन विहार में चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया था।
6.मौर्य कालीन कला एवं स्थापत्य का वर्णन करें।
Ans– मौर्यकालीन कला एवं स्थापत्य का सर्वश्रेष्ठ नमूना इस इ समय के स्तम्भएवं यक्षिणी की मूर्ति है। साँचो, सारनाथ आदि जगहों पर मौर्यकालीन स्तूप मिले हैं। इस समय मूर्ति निर्माण में गांधार एवं मधुरा शैली का विकास हुआ। अशोक द्वारा 84 हजार बौद्ध स्तूपों तथा विहार का निर्माण करवाया गया था। इस काल में पर्वतों को काटकर गुहा-गृहों का भी निर्माण हुआ। बराबर की पहाड़ियों एवं नागार्जुनी पहाड़ियां ये आज भी हैं।
7.प्राचीन भारत में वर्णव्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
Ans– ऋग्वेद के पुरुष सुक्त तथा महाभारत के शांति पर्व से जानकारी मिलती है कि ब्रह्मा (विराट पुरुष) के मुख से ब्राह्मण, बाहु से क्षत्रिय, जंघा से वैश्य तथा पैरों से शुद्र वर्ण की उत्पत्ति हुई। प्रारम्भ में चातुर्वण्य व्यवस्था का आधार कर्म था। ब्राह्मण का कार्य कर्मकाण्ड सम्पन्न कराना था। राजा क्षत्रिय होता था, जिसका कार्य रक्षा करना था। वैश्य का कार्य व्यापार था। इन तीनों वर्षों को सम्मिलित रूप से द्विज कहा जाता था। शुद्र वर्ण का कार्य इन तीनों वर्षों की सेवा करना था। कालान्तर में यह व्यवस्था कर्म के स्थान पर जन्म पर आधारित हो गयी।
8.विजयनगर कालीन सिचाई व्यवस्था की विवेचना कीजिये।
Ans– विजयनगर के शासकों ने सिचाई व्यवस्था पर पर्याप्त ध्यान दिया। विजयनगर चारों ओर से ग्रेनाइट की चट्टानों से घिरा था। इन चट्टानों से कई जलधारायें फूटकर तुंगभद्रा नदी में मिलती थी। इससे एक प्राकृतिक कुंड का निर्माण हुआ था। इन सभी धाराओं को बांधकर पानी के हौज बनाये गये थे, इन्हीं में से एक धाराओं का नाम ‘कमलपुरम जलाशय’ था। इससे आस-पास के खेतों की सिंचाई की जाती थी। इससे एक नहर भी निकाली गई थी। इनसे धान के खेतों और बगीचों को सिचाई की जाती थी।
9.त्रिरत्न से आप क्या समझते है ?
Ans– महावीर जैन के अनुसार चित कर्मों से छुटकारा पाने के लिए तथा नए कमों का संचित होने से रोकने के लिए मनुष्य को निम्नलिखित तीन रत्नों का पालन करना चाहिए-
(1) सम्यक विश्वास जैन धर्म के अनुसार मनुष्य को असत्य अंश का परित्याग करना तथा सत्य अंश का ग्रहण करना चाहिए। इसके अतिरिक्त उन्हें 24 तीर्थंकरों में दृढ विश्वास रखना चाहिए तथा बड़ो श्रद्धा भक्ति से उनकी पूजा करनी चाहिए।
(ii) सम्यक ज्ञान- जैनियों का विश्वास है कि संपूर्ण विश्व भौतिक एवं आध्यात्मिक अंशों में मिलकर बना है। भौतिक अंश असत्य, अनित्य तथा अन्धकारमय है जबकि आध्यात्मिक अंश सत्य नित्य तथा प्रकाशमय है।
(iii) सम्यक आचरण सम्यक आचाण में अभिप्रायः यह है कि मनुष्य को इन्द्रियों का का दास न बनकर सदाचार का जीवन व्यतीत करना चाहिए और इसके लिए उसे अहिंसा सत्य तथा ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
10.बर्नियर ने सती प्रथा का वर्णन कैसे किया है ?
Ans– बर्नियर सहित प्रायः सभी यात्रियों ने भारत में महिलाओं की स्थिति पर विशेष ध्यान दिया। वस्तुतः पश्चिम की महिलाओं की स्थिति एवं पूर्व की महिलाओं की स्थिति में भिन्नता दर्शान का एक महत्त्वपूर्ण बिन्दु था। सती प्रथा भारतीय समाज की एक ऐसी बुराई थी जो अन्य देशों में प्रचलित नहीं थी। बर्नियर बताता है कि भारत में कुछ महिलाएँ प्रसन्नता से सती होती थीं एवं कुछ महिलाओं को सती होने के लिए बाध्य किया जाता था। बर्नियर अपने यात्रा वर्णन के द्वारा एक बार फिर यूरोपीय श्रेष्ठता एवं भारत में बुराई को प्रमाणित करना चाहता था।
11.मुगलकालीन चित्रकला की क्या विशेषता थी ?
Ans– मुगल काल में चित्रकला के क्षेत्र में काफी विकास हुआ। बाबर से लेकर शाहजहाँ के काल तक चित्रकला का काफी विकास हुआ। जहाँगीर का दरबार हमेशा चित्रकारों से भरा रहता था। हुमायूँ जब ईरान के शाह के दरबार में था तो वहाँ वह अनेक चित्रकारों के संपर्क में था। कुछ प्रमुख चित्रकारों में सैयद अलि तबरीजी, ख्वाजा अब्दुल समद, जगन्नाथ, केसूलाल आदि थे। अकबरनामा, पंचतंत्र, महाभारत आदि पुस्तकों को चित्रित किया गया।
12. अकबर के दरबार के चार नवरत्नों के नाम लिखे।
Ans– अकबर के दरबार में चार नवरत्न निम्नलिखित थे
(1) अब्दुल रहीम खान-ए-खाना
(ii) अबुल फजल
(iii) तानसेन
(iv) राजा मानसिंह
13. अकबर के मुख्य सामाजिक सुधर के बारे में लिखे।
Ans– अकबर द्वारा किये गये सामाजिक सुधार निम्नलिखित हैं-
(1) सती प्रथा और बाल विवाह का निषेध- अकबर ने हिन्दू समाज में प्रचलित सती प्रथा और बाल विवाह को समाप्त करने का प्रयास किया।
(ii) तीर्थ यात्रा कर व जजिया कर की समाप्ति- उसने हिन्दुओं पर से तीर्थ यात्रा कर और अपमानजनक जजिया कर को समाप्त कर दिया।
(iii) विधवा विवाह को प्रोत्साहन – अकबर ने विधवाओं की स्थिति में सुधार के लिए विधवा विवाह को प्रोत्साहित किया।
(iv) बलात् धर्म परिवर्तन पर रोक अकबर ने जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगा दिया।
(v) धार्मिक स्वतंत्रता अकबर ने आम जनता के साथ ही शाही महलों में हिन्दू रानियों को भी अपने धार्मिक विश्वास एवं प्रथा के अनुसार आचरण करने की छूट दी थी।
14. मुगलकाल के भूमि को मुख्यतः कितने वर्गों में बाटा गया था ?
Ans– आईन-ए-अकबरी के अनुसार भूमि को मुख्यतः चार वर्गों में वर्गीकृत किया गया था।
(1) पोलज- यह प्रथम श्रेणी की भूमि थी जिस पर प्रत्येक समय खेती होती थी। वर्ष में दो फसलें होती थी। इस भूमि से प्रतिवर्ष सरकार को भूमि कर प्राप्त होता था।
(ii) परती- यह वह भूमि थी जिस पर खेती करने के पश्चात् एक वर्ष तक परती छोड़ दी जाती थी।
(iii) चचर भूमि- यह वह भूमि थौ जो कृषि योग्य होने या उर्वरा शक्ति प्राप्त करने हेतु 3 या 4 वर्ष परती छोड़ दी जाती थी।
(iv) बंजर भूमि- यह सबसे निम्न कोटि की भूमि थी जो पाँच वर्ष के लिए खाली छोडी जाती थी।
15.बाबरनामा क्या है ?
Ans– बाबरनामा विश्व के ऐतिहासिक ग्रन्थों और साहित्यिक रचनाओं में अग्रगण्य माना जाता है। यह ऐतिहासिक ग्रन्थ मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर की आत्मकथा है। इस ग्रन्थ से न केवल बाबर के चरित्र और व्यक्तित्व का ज्ञान प्राप्त होता है, बल्कि तत्कालीन भारत की भौगोलिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को जानकारी भी प्राप्त होती है। इस ग्रन्थ में राणा संग्राम सिंह के साथ हुए भीषण युद्ध की भी चर्चा की गई है। इसी युद्ध में विजय होने के उपरांत वह गाजी की उपाधी धारण किया था। इस ग्रंथ से उस समय के भारत की जलवायु, मौसम, वनस्पतियों की जानकारी मिलती है। वास्तव में बाबर ने भारत में इतिहास लेखन की अद्वितीय परम्परा को जन्म दिया।
16.चम्पारण आंदोलन का क्या कारन था ?
Ans– भारत में महात्मा गाँधी अपनी सक्रिय राजनीति की शुरुआत चम्पारण सत्याग्रह से की थी। उत्तर बिहार के चम्पारण में नील की खेती होती थी। 19 वीं सदी के प्रारंभ में यूरोपीय बागान मालिकों ने चम्पारण के किसान के साथ एक अनुबंध किया जिसके अनुसार किसानों को अपनी जमीन के 3/20वें हिस्से में नील की खेती करना अनिवार्य था। इसे ‘तिनकठिया पद्धति’ कहा जाता था। किसान इस अनुबंध से मुक्त होना चाहते थे। 1917 में चम्पारण के किसान राजकुमार शुक्ल के अनुरोध पर गाँधीजी चम्पारण पहुँचे। चम्पारण पहुँचकर उन्होंने किसानों की समस्याओं को सुना और सही पाया। गाँधीजी के प्रयासों से सरकार ने चम्पारण के किसानों कि स्थिति की जाँच हेतु एक आयोग नियुक्त किया। अन्त में गाँधीजी की विजय हुई और तिनकठिया पद्धति समाप्त हुई।
17.चम्पारण सत्याग्रह का संक्षेप में विवरण दें।
Ans– 1917 ई० में गाँधीजी द्वारा चंपारण के किसानों की समस्या को लेकर स्थानीय स्तर पर जो आंदोलन किया गया उसे चंपारण आंदोलन कहा जाता है। चंपारण के राजकुमार शुक्ल के अनुरोध पर गाँधीजी चंपारण आए। यहाँ के किसानों को अंग्रेज नील मिल मालिकों द्वारा तीनकाठिया प्रणाली द्वारा किसानों का शोषण किया जा रहा था। अंततः यह आंदोलन सफल हुआ तथा किसानों को तीनकाठिया प्रणाली से मुक्ति मिली।
18. आयंगर व्यवस्था के विषय में आप क्या जानते हैं
Ans– आयंगर व्यवस्था विजयनगर साम्राज्य के ग्रामीण प्रशासन की व्यवस्था थी। प्रशासन की सबसे छोटी इकाई गाँव या उर होती थी। आयंगर व्यवस्था के तहत प्रत्येक उर या ग्राम का एक स्वतंत्र इकाई के रूप में संगठित किया गया था। इस पर शासन के लिए बारह शासकीय व्यक्तियों का नियुक्त किया जाता था। इन्हों बारह शासकीय अधिकारियों के समूह को ‘आयंगर’ कहा जाता था। इस समूह को गाँवों स कर इकट्ठा करने भूमि बचने तथा छोटे-माट मामलों में न्याय करने का अधिकार था।
19. लॉर्ड डलहौजी की हड़प नीति पर टिप्पणी लिखें।
Ans– 1857 के विद्रोह का प्रमुख कारण देशी रियासत को ईस्ट इंडिया कम्पनी क अधीन प्रदेशों में मिलाना था। लाई डलहौजी ने आदिकाल से चली आ रही गांद लंन की प्रथा को समाप्त कर दिया, जिससे वह उन रियासतों को कम्पनी के शासन में मिला सके, जिन शासकों के कोई संतान नहीं थी। झाँसी को रानी को स्पष्ट रूप से अपना उत्तराधिकारी गोद लेने से मना कर दिया गया था। डलहौजी की यह नीति हड़प्प नीति के नाम से प्रसिद्ध है। उसने इस नीति के फलस्वरूप कई रियासतों को अपने नियंत्रण में लिया जैसे सतारा, जैतपुर झाँसी नागपुर आदि।
20. मुस्लिम लीग की स्थापना कैसे हुई ?
Ans– 1857 के विद्रोह के पश्चात् मुसलमान मामान्यतः अंग्रेज विरोधी थे. परंतु अलीगढ़ आंदोलन और सैय्यद अहमद के प्रयासों से मुसलमानों की विचारधारा बदली। उनमें अंग्रेजों के प्रति स्वामी भक्ति की भावना जगी। बंगभंग आंदोलन का लाभ उठाकर अंग्रेजों ने हिन्दू-मुसलमानों में फूट डालकर उन्हें अपने पक्ष में करने का प्रयास किया। इस उद्देश्य से मुसलमानों की मांगों पर सहानुभूतिपूर्ण ढंग से विचार किया गया। अक्टुबर 1906 में मुसलमानों का एक प्रतिनिधि मंडल शिमला में लार्डमिटों से मिला। इसका नेतृत्व आगा खाँ ने किया। प्रतिनिधि मंडल ने राजभक्ति प्रकट की तथा सांविधानिक और प्रशासनिक अधिकारों की मांग की। मिंटो ने उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया। इससे उत्साहित होकर मुसलमानों ने अपना राजनीतिक संगठन बनाने का प्रयास किया। फलतः 30 दिसम्बर 1906 को ढाका में नवाब सली मुल्लाह और आगा खाँ ने ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना की।
21. महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन क्यों वापस लिया ?
Ans– असहयोग आन्दोलन की शुरुआत गाँधीजी ने ‘कैसरे-हिंद’ की उपाधि लौटाकर की।
असहयोग आन्दोलन ने सरकारी अर्थव्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर दिया। अतः सरकार ने दमन का निश्चय किया। कांग्रेस गैर कानूनी घोषित कर दी गई। हजारों व्यक्ति जेल में बंद कर दिये गये। गाँधी जी के अतिरिक्त सभी महत्त्वपूर्ण नेता गिरफ्तार कर लिये गये। आन्दोलन अपने चरम पर पहुँच गयी थी। इसी बीच गोरखपुर के चौरी-बौरा गाँव में 5 फरवरी 1922 को कुद्ध भीड़ ने पुलिस द्वारा गोली चलाये जाने के विरोध में थाना में आग लगा दी। इसमें अनेक पुलिसकर्मी जिंदा जल गये। गाँधी जी को घटना से दुःख हुआ। उन्होंने आआंदोलन को हिंसक होते देख असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया।
22. विभाजन के खिलाफ महात्मा गांधी की दलील क्या थी ?
Ans– विभाजन के खिलाफ गाँधीजी यह दलील देते थे कि विभाजन उनकी लाश पर होगी। वे विभाजन के कट्टर विरोधी थे। उन्हें यह यकीन था कि वे देश में सांप्रदायिक एकता पुनः स्थापना करने में कामयाब होंगे। लोग घृणा और हिंसा का रास्ता छोड़ देंगे और सभी मिलकर दो भाइयों की तरह अपनी समस्याओं को निदान कर लेंगे। प्रारंभ में सांप्रदायिक सद्भाव पुनः स्थापित करने में उन्हें सफलता भी मिली। उनकी आयु 17 वर्ष की थी। वह यह मानते थे कि उनकी अहिंसा, शांति, सांप्रदायिक भाईचारा के विचारों को हिन्दू और मुसलमान दोनों ही मानते हैं। गाँधीजी जहाँ भी गए पैदल गए। उन्होंने हर जगह हिन्दू और मुसलमानों को शांति बनाए रखने परस्पर प्रेम और एक-दूसरे की रक्षा करने का आह्वान किया। गाँधीजी मानत थे कि मैकड़ों माल में हिंदू-मुस्लिम इकते रहते आ रहे हैं. व एक जैसी पोशाक पहनते हैं. एक जैसा भोजन खात हैं इसलिए शीघ्र ही आपसी घृणा भूल जायेंग।
23. जिन्ना के द्वि राष्ट्र सिद्धांत के विषय में आप क्या जानते हैं ?
Ans– मि० जिन्ना व लीग को छिपे तौर पर ब्रिटिश सरकार का समर्थन प्राप्त था, इसलिए भारत की स्वतंत्रता के लिए वह कांग्रेस से कोई समझौता करने को तैयार न था। अतः मार्च, 1940 में मि० जिन्ना ने ‘द्विराष्ट्र सिद्धान्त’ का प्रतिपादन करते हुए भारत के विभाजन की माँग की। मि० जिन्ना ने दावा किया कि हिन्दू और मुसलमान भारत में रहने वाले दो अलग-अलग राष्ट्र हैं जिनका स्थान और अधिकार बराबर का है। मुसलमानों की संस्कृति, धर्म और हित भारत में सुरक्षित नहीं है, वह केवल पृथक राष्ट्र में ही सुरक्षित रह सकते हैं। मि० जिन्ना ने स्पष्ट रूप से कहा कि “हिन्दू और मुसलमान सभी एक संयुक्त राष्ट्र में रह सकते हैं, यह मात्र एक स्वप्न है। भारत में अन्तर्जातीय समस्या नहीं है वरन् स्पष्ट रूप से अंतर्राष्ट्रीय समस्या है। राष्ट्र की किसी परिभाषा के अनुसार मुसलमान एक राष्ट्र है, अतः उनका अपना प्रदेश और राज्य होना चाहिए।
24. रोलेट एक्ट पर टिप्पणी लिखें।
Ans– मार्च 1919 ई० में अंग्रेजी सरकार द्वारा रॉलेट एक्ट पास किया गया। इस एक्ट के अनुसार सरकार किसी भी व्यक्ति पर संदेह मात्र होने से उसे बंदी बनाकर उस पर गुप्त रूप से मुकदमा चला उसे दण्ड दे सकती थी। इसके अनुसार सरकार को बंदी प्रत्यक्षीकरण के अधिकार को स्थगित करने का अधिकार दे दिया गया। यह एक काला कानून था जिसका विरोध पूरे देश में हुआ। इसी के कारण जालियाँवालाबाग हत्याकांड हुआ।
25. 1857 के विद्रोह के राजनीतिक कर्म का उल्लेख करें।
Ans– 1757 से 1857 ई० के मध्य ईस्ट इंडिया कम्पनी ने छल-प्रपंच, कूटनीति और बल प्रयोग द्वारा लगभग समस्त भारत पर अधिकार कर लिया। देशी राजाओं को कंपनी की सत्ता स्वीकार करने को बाध्य किया गया। इससे राज्यों में असंतोष था। इस असंतोष को बढ़ाने में बेलेजली की सहायक संधि, डलहौजी की कुशासन के आधार पर राज्य हड़पने की नीति, गोद निषेध की नीति, देशी राजाओं, नवाबों, ताल्लुकेदारों की जमींदारियाँ जब्त करने की नीति ने जलती अग्नि में घी डाला। पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तकपुत्र नाना साहब की पेंशन बंद करने, मुगलों की सत्ता को समाप्त करने की योजना, झाँसी, नागपुर, सतारा, पंजाब, अवध के अधिग्रहण से देशी राजाओं और जमींदारों का एक वर्ग कंपनी शासन के विरुद्ध संगठित हो गया।
26. सूफी आंदोलन के चार प्रसिद्ध संतों के नाम लिखें।
Ans– सुफी संप्रदाय के प्रसिद्ध चार संतों के नाम निम्नलिखित है-
(i) शेख सलीम चिश्ती
(ii) शेख बहाउद्दीन जकारिया
(iii) मुहम्मद गौस
(iv) ख्वाजा वकी बिल्लाह।
27. चैतन्य महाप्रभु पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
Ans- चैतन्य भगवान कृष्ण के उपासक थे। उनका जन्म बंगाल के नदिया जिले में एक सभ्रान्त ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बीस वर्ष की आयु में उन्होंने संन्यास ग्रहण कर लिया था। कबीर तथा नानक के समान चैतन्य ने भी समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाया तथा बंगाल में साम्प्रदायिकता सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास = किया। चैतन्य के सिद्धांतों में राधा-कृष्ण की प्रेम, भक्ति और उनकी लीलाओं का प्रधान्य है। उनका मानना था कि मानव को राधा की भाँति कृष्ण प्रेम में रत रहना चाहिए। उन्होंने कीर्तन, नृत्य तथा संगीत द्वारा कृष्ण भक्ति पर विशेष बल दिया। बंगाल, बिहार, उड़िसा में लोगों पर चैतन्य का काफी प्रभाव पड़ा।
28. जलियांवाला बाग हत्याकांड पर एक टिप्पणी लिखें।
Ans– रॉलेट ऐक्ट का विरोध गाँधी सहित देश के अन्य नेताओं द्वारा विभिन्न भागों में किया गया। इसी ऐक्ट एवं पंजाब के दो लोकप्रिय नेता डॉ० सतपाल एवं डा० किचलु के गिरफ्तारी के विरोध में अमृतसर के जालियाँवाला बाग में हजारों लोग शांतिपूर्ण ढंग से सभा कर रहे थे। बिना चेतावनी दिए पंजाब के तत्कालीन सैन्य अधिकारी डायर ने गोलियाँ चलाने का आदेश दिया। इस बाग में केवल एक ही सँकरा दरवाजा था। इससे जनता में अफरा-तफरी मच गयी और लोग बाहर नहीं निकल सकें। इस गोलीकाण्ड में करीब 379 लोग मारे गये और हजारों की संख्या में घायल हुये। इस घटना से पूरा देश स्तब्ध रह गया और इसके विरोध में गाँधी जी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन शुरू की गई।
29. भारत में यूरोपीय उपनिवेशों की स्थापना के कोई दो कारण बताइए।
Ans– भारत में यूरोपीय उपनिवेशों की स्थापना के दो निम्नलिखित कारण थे-
(i)कच्चे माल की प्राप्ति यूरोपीय देशों में व्यापारिक समृद्धि के फलस्वरूप उद्योगों के कच्चे माल को कमी को पूर्ण करने के लिए यूरोपीय देशों में प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण भारत में उपनिवेश की स्थापना की।
(ii) निर्मित माल की खपत उद्योगों की स्थापना एवं कच्चे माल की उपलब्धता से औद्योगिक उत्पादन तीव्र गति से बढ़ा। अतः निर्मित माल को खपाने के लिए भी उपनिवेशों की स्थापना की गयी।
30. महालवाड़ी व्यवस्था पर टिप्पणी लिखें।
Ans– भू-राजस्व की यह व्यवस्था अवध और मराठा अधिकृत क्षेत्रों में (1803-04) में लागू की गयी। यह जमींदारी व्यवस्था का संशोधित स्वरूप था। इस व्यवस्था में लगान महाल (गाँव या जागीर के आधार पर तय किया गया था। लगान चुकाने की जिम्मेवारी समस्त महाल की थी। किसान का जमीन पर व्यक्तिगत अधिकार नहीं रहा, बल्कि सारी भूमि महाल के नियंत्रण में थी। इस व्यवस्था में मार्टिन वर्ड ने संशोधन करके इसे उत्तर-पश्चिमी प्रदेश में लाग किया। इस व्यवस्था में भी कृषकों का शोषण हुआ ।